June 18, 2024
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नाटक विधा हिंदी साहित्य
नाटक विधा हिंदी साहित्य का अभिन्न अंग है, जिसमें छात्रों द्वारा प्रस्तुति देखकर ह्रदय प्रफुल्लित हो उठता है l इसी के अंतर्गत कक्षा दसवीं एवं सातवीं के विद्यार्थियो द्वारा पाठ पर आधारित नाटक प्रस्तुत किया गया। जिसमें दसवीं के ने छात्रों एक सयुंक्त परिवार मे बुजुर्गों की दयनीय दशा को दर्शाया l आज समाज-व्यवस्था में धीरे धीरे परिवारों मे बुजुर्गों की दशा दिन प्रतिदिन बिगड़ती जा रही है, बच्चे उन्हें बोझ समझते जा रहे हैं l जब तक उनके पास पैसा, संपत्ति इत्यादि है तब तक तो उनकी थोड़ी पूछ है, उसके बाद तो उनकी स्थिति घर के पालतू जानवरों से भी बदतर हो जाती है
l दूसरी ओर सातवीं के छात्रों ने फेरीवाला बनकर उसका किरदार निभाया l आज समाज-व्यवस्था में धीरे धीरे फेरीवालों की कमी होती जा रही है l आज लोग बड़े बड़े मॉल में जाकर ख़रीदारी करना पसंद करते lइस गतिविधि से विद्यार्थियों के अंदर फेरीवालो के प्रति सम्मान की भावना जाग्रत हुई इसके अतिरिक्त फेरीवाला किसी भी जाति धर्म का हो सकता है l यह अनुभव भी किया कि इनके बिना जीवन नीरस-सा हो गया है। आजकल फेरीवाले नजर ही नहीं आते बल्कि आजकल शॉपिंग माल में जाना, खुद सामान चुनना, खुद सामान ढोना और खुद सामान लेकर बिल काउंटर पर पहुँचना ये मॉडर्न पद्धति बनती जा रही है l
इसके माध्यम से छात्रों को सभी वर्ग से परिचित कराना एवं उनके जीवन संघर्षो से अवगत कराना ही मॉडर्न का उद्देश्य है l दूसरी ओर दसवीं के विद्यार्थियों के अंदर बुजुर्गों के प्रति सम्मान की भावना जाग्रत हुई इसके अतिरिक्त सेवा भावना, करुणा जागृत हुई l
मॉडर्न परिवार हमेशा छात्रों के अंदर संस्कार, नैतिकता एवं आदर सम्मान का बीज बोता आ रहा है, जिसे छात्रों ने इस नाटक के माध्यम से दर्शाया है l